” सीखने से रचनात्मकता आती है, रचनात्मकता से सोच पैदा होती है, सोच से ज्ञान मिलता है और ज्ञान आपको महान बनाता है। ” – ऐसा हमारे महान राष्ट्रपति स्वर्गीय अब्दुल कलाम जी ने कहा था।
शिक्षा का उद्देश्य कौशल और विशेष योग्यता के साथ, अच्छे इंसान तैयार करना है।
बुनियादी व्यवस्थाओं में सुधार का परोपकारी उद्देश्य लिए जब समान विचारधारा वाले लोग जुड़ते हैं, तो बदलाव का आना तय होता है। जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत हम ऐसे लोगो का एक समूह हैं जो समाज के बदलते हुए रूप को देख कर बेहद चिंतित है। हमारी शिक्षा प्रणाली में पाई जाने वाली खामियों को देखते हुए तुरत सुधार की आवश्यकता है।
हम ऐसे सारे मुद्दों को रौशनी में लाना चाहते हैं तथा तथा निचले स्तर के शिक्षक तथा शिक्षा प्रणाली के विरुद्ध आवाज उठाना चाहते है। शिक्षण संस्थान, शिक्षक एवं शिक्षा के आकाओ को, छात्रो के द्वारा परीक्षाओं में किए खराब प्रदर्शन के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया जाए।
अभिभावकों एवं छात्रों के समक्ष अधिक विकल्प होने चाहिए रोज़गार एवं भविष्य संबंधित, न कि सिर्फ वही विकल्प जो परंपरागत तौर पर सदियों से चले आ रहे हैं, जैसे कि डॉक्टरी या इन्जीनियरिंग । यह परंपरा हमारे कुछ निजी संस्थानो को नोट छापने का मौका दिए जाती है।
श्रम की गरिमा को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। कुछ और अध्ययन होने चाहिए और अन्य कौशल विकसित करने के लिए आजीविका के विकल्प शामिल किए जाने चाहिए ताकि औसत दर्जे के छात्र भी सम्मानपूर्वक अपनी आजीविका कमा सकें।
एक शिक्षक का मुख्य कर्तव्य उच्च स्तरीय शिक्षा प्रदान करना तथा छात्र के विकास पर लगातार निगरानी रखना है। उनको पाठयेत्तर गतिविधियों में हिस्सा लेने पर मजबूर नहीं किया जाना चाहिए जिससे छात्रों के समक्ष उनकी छवि खराब हो। आजकल यह प्रचलन में है कि शिक्षक भी छात्रों के सामने कुछ प्रदर्शन करें परन्तु यह जोखिम भरा है जो अनावश्यक परिणाम को अंजाम देता है।
जीवन जीने का कौशल हमारे विद्यालयों में सिखाया जाना चाहिए।
किसी विश्वविद्यालय का कार्य सिर्फ डिग्री एवं डिप्लोमा वितरित करने तक सीमित नहीं होना चाहिए बल्कि विश्वविद्यालय की भावना और उन्नत शिक्षा का विकास करना भी होना चाहिए।
हम भारत को एक बार फिर से दुनिया को सर्वोतम ज्ञान एवं कौशल प्रदान करने वाले शीर्ष राष्ट्र के रूप में देखना चाहते हैं अपनी शिक्षा प्रणाली द्वारा जो समग्र विकास सिद्धांत पर आधारित है।
जब समाज भौतिक लाभ को ही अपना प्रमुख लक्ष्य बना लेता है और अपने सभी संसाधन अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में लगा देता है तो परिवार, समाज तथा राष्ट्र का विघटन दूर नहीं होता जिससे हमारी प्रचलित शिक्षा प्रणाली से सम्बंधित सोच समझ एवं नीतियों पर सवाल उठते हैं |
हम एक समाज के रूप में ईमानदारी तथा सत्यनिष्ठा कोको अग्रिम पंक्ति में लाने और योग्य लोगों को उनके सर्वोच्च सम्मान से पुरष्कृत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं |
आइये हम सब मिलकर आवश्यक सुधार लाने को एकजुट हों और सर्वोत्तम मष्तिस्क को खिलने का मौका दे कर देश को गौरान्वित करें |